शनिवार, 5 मार्च 2016

क्षिप्रा के तट पर अमृत का मेला –सिंहस्थ 16

देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र-मंथन किया तथा उसकी दुर्लभ प्राप्तियों को आपस में बाँट लिया –उनमें से एक अमृतकलश था, जिसकी छीना-झपटी के समय कुछ बूंदें मृत्युलोक में गिरी. हरिव्दार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन वे चार पवित्र स्थान हैं, जहाँ 12 वर्ष के अन्तराल में कुम्भ मेला भरता है. मान्यता है, कि अमृत-कलश के लिए स्वर्ग की गणना से 12 दिन संघर्ष हुआ, जो धरती के लोगों को 12 वर्ष हैं. अमृत-कलश की रक्षा में सूर्य, गुरु और चन्द्र की उल्लेखनीय भूमिका रही, अतः जिन राशियों में सूर्य, गुरु और चन्द्र के विशिष्टयोग होते हैं वहाँ उस समय कुम्भ पर्व का आयोजन होता है.

स क्र.   
स्थान (जलतार्थ)
ग्रह/राशि का सुयोग      
कुम्भ पर्व आयोजन 
1
उज्जैन (क्षिप्रा)
गुरु-सिंह राशि/सूर्य– मेष राशि    
22 अप्रेल से 21 मई 2016 तक
2
हरिव्दार (गंगा)   
गुरु –कुम्भ राशि /सूर्य–मेष राशि
2019
3
प्रयाग (संगम)     
गुरु–वृष राशि /सूर्य–मकर राशि  
2022
4
नासिक (गोदावरी) 
गुरु-सिंह राशि /सूर्य–सिंह राशि 
2025

उज्जैन का कुम्भमेला सिंहस्थ कहलाता है. वैशाख में जब सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में हो और सिंह राशि में गुरु (वृहस्पति) हो तो यह स्थिति सिंहस्थ कहलाती है.                  
मेष राशि गते सूर्ये सिंह राशौ वृह्स्पतौ
उज्जयिन्यां भवेत् कुम्भः सर्व सौख्य विवर्धन:
(जब सूर्य मेष राशिपर हो और वृहस्पति सिंह राशी पर तब उज्जैन में कुम्भ होता है जो सब प्रकार से सुखों की वृध्दि करती है)

Simhastha

आगामी 22 अप्रेल से 21 मई 2016 तक ग्रह और राशियों के सबल सुयोग से क्षिप्रा के तट पर अमृत का मेला भरेगा, इस दौरान 7 पर्व-स्नान होंगे.
स क्र.   
दिनांक
पर्व तिथि
1
22 अप्रेल 16
प्रथम शाही स्नान (पूर्णिमा)
2
06 मई 16
पर्व स्नान (अमावश्या)
3
09 मई 16      
अक्षय तृतीया
4
11 मई 16       
शंकराचार्य जयंती (पञ्चमी)
5
17 मई 16      
मोहिनी एकादशी
6
19 मई 16       
प्रदोष पर्व
7
21 मई 16     
शाही स्नान (पूर्णिमा)
हिन्दू पंचांग के अनुसार सिंहस्थ के दौरान विवाह मुहूर्त नहीं हैं कहा गया है किसिंह राशि का स्वामी सूर्य है और ये अग्नि तत्व की राशि है. इस राशि में देवताओं के गुरु वृहस्पति होने से वैराग्य का योग बनता है, गुरु के प्रभाव से वियोग एवम् विरोध की स्थिति होने से इस अवधि में विवाहादि मंगल कार्य वर्जित हैं.

उज्जैन महात्म्य सप्त पुरियों में से एक उज्जैन भगवान महाकाल की नगरी है. यह पूर्ण जागृत स्थली है. स्कन्द पुराण के आवन्त्यखंड में महाकाल क्षेत्र का वर्णन करते हुए कहा गया है कि भगवान् शिव ने इस महाकालवन में वास किया और यहीं त्रिपुर का वध किया था. यहाँ ऐसी दिव्य शक्ति है की उसके संपर्क में जाने से तीन अर्थों (धर्म, काम और मोक्ष) की सिध्दि होती है. यहाँ निष्काम भाव से की गई यात्रा का फल मुक्ति मिलता है. व्दादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल हैं, इस सिंहस्थ मेंपहली बार चांदी से आच्छादित महाकाल मंदिर का गर्भ-गृह विशेष दर्शनीय रहेगा. मंदिर प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि पर्व-दिवसों में भस्मारती एक घंटा पूर्व यानि 3.00 बजे से होगी.

51 शक्तिपीठों में से एक हरसिध्दी, जहाँ माता सती का कूर्पर (कोहनी) गिरा था, के कारण इस नगरी का महत्त्व और बढ़ गया है. गुरु संदीपनी का आश्रम, जहाँ कृष्ण-बलराम ने शिक्षा प्राप्त की थी, योगी भरतरी, महाराजा विक्रमादित्य, धन्वन्तरी, वराहमिहिर और कालिदास ने इस नगर का गौरव बढाया. स्कन्द पुराण (17-19) में आया है-
महाकाल: सरिच्छिप्रा गतिश्चैव सुनिर्मला,
उज्जयिन्यां विशालाक्षी वास:कस्य न रोचयेत.
(जहाँ महाकाल हैं, शिप्रा नदी है और सुनिर्मल गति मिलती है उस उज्जयिनी में भला किसे अच्छा नहीं लगेगा)

उज्जैन के पास प्रमुख दर्शनीय स्थल– श्री चिंतामणि गणेश मंदिर, श्री महाकालेश्वर मंदिर, हरसिध्दी मंदिर, बड़े गणेश जी का मंदिर ,श्री राम जनार्दन मंदिर, नगरकोट की रानी का मंदिर, चौबीस खम्बा माता मंदिर, गढ़ कलिका मंदिर, श्री गोपाल मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, श्री काल भैरव मंदिर, इस्कान मंदिर, पीर मत्स्येन्द्र नाथ, श्री सिध्द वट मंदिर, श्री संदीपिनी आश्रम, जंतर-मंतर, दुर्गादास राठौड़ की समाधि.

कैसे पहुचें सिंहस्थ मेले तक- उज्जैन तक पहुँचने के लिये वायुमार्ग, रेलवे और सड़क मार्ग से सुलभ साधन हैं.
वायुमार्ग इंदौर के देवी अहिल्या बाई हवाई-अड्डा से मात्र 55 किलोमीटर दूरी पर स्थित उज्जैन देश के सभी बड़े शहरों- जैसे दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, रायपुर, अहमदाबाद से सीधे जुड़ा है. भोपाल का राजा भोज हवाई-अड्डा यहाँ से 172 किलोमीटर है आवश्यकतानुसार यहाँ से भी वायु सेवा ली जा सकती है.
रेलमार्ग- मध्य रेलवे की भोपाल-उज्जैन और आगरा-उज्जैन लाइनें हैं. पश्चिमी रेलवे की नागदा-उज्जैन और फतेहाबाद-उज्जैन लाइनें हैं. सिंहस्थ के दौरान उज्जैन की ओर आने वाली रेलगाड़ियाँ लगभग 10 से 12 किलोमीटर पहले फ्लेग स्टेशन पर रोकी जावेंगीं, और वहाँ से रेलवे विभाग यात्रियों के लिए बस उपलब्ध करायेगा. फ्लेग स्टेशन पर सिंहस्थ की सभी सुविधाएँ प्राप्त होंगी.
सड़क मार्ग सिंहस्थ के समय उज्जैन में दो बस स्टेंड से बसों की आवाजाही रहेगी
(1) रेलवे स्टेशन के पास से आगर, कोटा और नागदा के लिए बस मिलेंगीं
(2) नान्हाखेडा बस अड्डा से इन्दौर और मक्सी के लिए बस मिलेंगीं
टेक्सी—सभी स्थानों के लिए उचित दरों पर टेक्सी सेवा उपलब्ध रहेगी.

कहाँ ठहरें- उज्जैन में मध्य प्रदेश पर्यटन निगम की दो होटल–होटल अवंतिका और शिप्रा रेसीडेंसी हैं, जिनकी ऑन-लाईन बुकिंग की जा सकती है. इसके अलावा लगभग 50 स्तरीय होटल हैं जिनकी जानकारी सिंहस्थ की वेबसाइट www.simhasthujjain.in या www.mptourism.com पर उपलब्ध है.

सिंहस्थ प्रबंधन-
अ)              भीड़ प्रबंधन सिंहस्थ में तेरह अखाड़ों के अलावा लगभग 5 करोड़ श्रध्दालुओं की उपस्थिति का अनुमान है. सम्पूर्ण सिंहस्थ क्षेत्र 6 मेला-ग्रामों में विभाजित है, जिसमें 22 प्रखंड बनाये गए हैं 16, मेला क्षेत्र में हैं. सिंहस्थ में दो पहिया, तीन पहिया, या चार पहिया वाहनों का प्रवेश निषेध रहेगा. यानि पर्व विशेष पर सिर्फ और सिर्फ पदयात्री ही मेला का आनन्द या पुण्य लाभ ले सकेंगे. उल्लेख्य है, सिंहस्थ-2004 में अशक्त और अपंग जनों को स्नान घाट तक लाने-ले जाने के लिए हाथ-ठेला एक विकल्प था.

उज्जैन में 450 बिस्तर का एक नया महिला एवम् शिशु अस्पताल बनाया गया है, जो की सर्व सुविधा युक्त होगा और 1800 बाह्य—रोगी परीक्षण की क्षमता रखता है. सिंहस्थ-16 के लिए झोन और सेक्टरवॉर 550 चिकित्सा अधिकारी तैनात रहेंगे.

भीड़ को नियंत्रित कर कतारबध्द स्नान या दर्शनार्थ भेजा जावेगा. नासिककुम्भ मेले में (27/08/2003) अस्थायी पुल टूटने से 29 और रतनगढ़, दतिया में (13/10/13) भगदड़ होने से 121 मौत हुईं, इनसे सबक लेते हुए प्रदेश शासन ने व्यवस्था की है, कि मेला क्षेत्र में कोई भी अस्थायी पुल/पुलिया नहीं रहेगी. प्रसिध्द भरतरी गुफा भी सिंहस्थ के दौरान आम दर्शंनाथियों के लिए बंद रहेगी.

जहाँ भीड़ होगी, वहां गंदगी बढ़ेगी. अनुमान है हर पर्व पर लगभग एक करोड़ लोगों की भीड़ जुटेगी. यह भीड़ धर्मशालाओं में, मार्ग में, मंदिरों में, घाटों पर अनेक प्रकार की गंदगी बढायेगी—स्वाभाविक है. कहीं दोने-पत्ते बिखरेंगे, कहीं मल-मूत्र त्यागेंगे, कहीं थूकेंगे, कहीं कीचड़ करेंगे. यह गंदगी यथाशीघ्र दूर की जावे, ऐसी व्यवस्था की जा रही है. सरायों, धर्मशालाओं, होटलों और निजी अतिथि-गृह संचालकों को इस हेतु सख्त हिदायतें दी गई हैं. सार्वजनिक स्थलों, मंदिरों, घाटों, गलियों में स्वच्छता हेतु नगर कमेटियों, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं को दायित्व सोंपे जा रहे हैं. वैसे स्वच्छता की जितनी जिम्मेदारी तीर्थ के लोगों की है, उससे अधिक यात्रियों की है. अपेक्षा की जाती है कि कागज, दोने-पत्ते, फलों के छिलके, जूठन, दातोन आदि निश्चित कूड़ा-दानों में डालें. सिंहस्थ क्षेत्र में ‘नो प्लास्टिक’, ‘स्वच्छ उज्जैन-स्वच्छ सिहस्थ’ और ‘ग्रीन उज्जैन-ग्रीन सिंहस्थ’ जैसे स्लोगन प्रसारित रहेंगे.

पिछले सिंहस्थ में देशी-विदेशी स्वयंसेवी संस्थाओं, मन्दिर ट्रस्ट, आश्रमों, प्रवचन-पंडालों में शिष्यों-भक्तों के रहने–रुकने की पर्याप्त व्यवस्था थी. अखंड भंडारों में भोजन-प्रसाद भी खूब खिलाया था. बाबजूद इसके, शासनस्तर पर यह व्यवस्था की गई थी कि सिंहस्थ में आने वाला भूखा न सोये. इस बार मेला प्रबंधन ने भंडारों में वितरित किये जाने वाले भोजन के स्तर, गुणवत्ता और पौष्टिकता की जाँच के लिए एक विशिष्ट दल गठित किया है. मेले में लगभग 3000 पण्डाल लगाये जावेगें, जिनकी अग्नि सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था जाँची जावेगी.

आ)            स्नान प्रबंधन सात पर्व स्नानों के लिए उज्जैन में 35 घाट हैं, जो लगभग 10 किलोमीटर लम्बाई में विस्तृत है. प्रमुख शाही स्नान पर साधुओं और श्रध्दालुओं के लिए अलग-अलग व्यवस्था है. क्षिप्रा के घाटों पर पर्व स्नान के लिए साफ़ पानी रहे, इसकी सुनियोजित योजना है और राज्य शासन ने क्षिप्रा में मिलने वाली खान नदी तथा अन्य गंदे नालों का डायवर्शन करने का कार्य प्रारंभ कर दिया है. अलावा इसके, इस सिंहस्थ के ठीक पहले राज्य सरकार के नर्मदा घाटी विकास विभाग व्दारा महत्वकांक्षी नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना पूर्ण कर ली है. नर्मदा नदी पर निर्मित ओमकारेश्वर बांध से 47 किलोमीटर लम्बी पाईप लाईन व्दारा 5.00 घनमीटर प्रति सेकण्ड नर्मदा जल इन्दौर जिले में कम्पेल के पास उज्जैनी में स्थित शिप्रा टेकरी से जोड़ा गया है. स्कन्द पुराण में यही से क्षिप्रा के उद्गम का उल्लेख है. कालांतर में यह नदी सूख गई और मानवीय संकल्पों के चलते दोबारा प्रवाहमान हो गयी है. अब यह कहा जा सकता है कि क्षिप्रा में पानी नहीं, अमृत बह रहा है. माँ नर्मदा का पवित्र जल, जिसके दर्शनमात्र से मनुष्यों के पाप नष्ट हो जाते हैं. पर्व पर जुटती भीड़ को ध्यान में रखकर मेला प्रबंधन ने प्रत्येक व्यक्ति को एक सीमित समय ही घाट पर रुकने के लिए नियत किया है. बस! वहाँ आइये, डुबकी लगाइये और जाइये.

इ)                यातायात प्रबन्धन- सिंहस्थ के पर्व दिवसों में निजी वाहन नहीं जा पाएंगे. केवल और केवल पदयात्री, हर दिन लगभग एक करोड़. जिन्हें सिंहस्थ प्रवेश व्दार से ही क़तार बध्द करके नियत रास्ते से घाटों तक स्नान हेतु भेजा जावेगा. प्रवेश और निकासी के रास्ते अलग-अलग रहेंगे. धक्का-मुक्की न हो अतः ‘होल्ड एंड रिलीज’ प्रणाली से लोगों को नियत्रित कर भेजा जावेगा. रास्ता छायादार रहेगा, जगह-जगह बैठने की व्यवस्था, ठण्डा पानी,सुलभ-शौचालय. भोजन/स्वल्पाहार की दुकानें एवम आकस्मिक-चिकित्सा उपलब्ध रहेंगी. पेयजल को लेकर कोई दिक्कत न हो इसलिए एक हजार प्याऊ मेला क्षेत्र में तैयार कराये जा रहे हैं. यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे ने नया प्लेटफार्म चालू कर दिया है. सिंहस्थ-16 के निर्माण कार्यों में प्रमुख है, उज्जैन पश्चिम वाई-पास –14.29 किलोमीटर लम्बे इस 2-लेन रिंग रोड का निर्माण म.प्र. सड़क विकास निगम ने किया है. उज्जैन शहर को 14 नए पुलों की सौगात मिली है. जिसमें 7 क्षिप्रा नदी पर, 5 रेलवे ओवर ब्रिज तथा 2 फ्लाई ओवर हैं. क्षिप्रा पर बने पुल के समान्तर नया पुल बनाने से यात्रियों का दबाब कम होगा, पुल पर जाम नहीं लगेगा. पिछले सिंहस्थ में पुराने पुल पर एक ट्रक वहां फंस जाने से बड़ी असुविधा हुई थी. नगर के 15 किलोमीटर बाहिरी क्षेत्र में 13 पार्किंग स्थल (पड़ाव) रहेंगे. मोबाइल पर एक एप रहेगा जो यह बताएगा की आपको वाहन कहाँ खड़े करना है. नियत पार्किंग स्थलों से राज्य परिवहन निगम की बस मिलेगी जिसके लिए आपको अधिकतम 8 मिनट प्रतीक्षा करना होगी. मेले के दौरान नयी रेलगाड़ियाँ भी चलायी जा रहीं हैं.

ई)                 पादुका प्रबन्धन- सिंहस्थ में आने वाले अपनी पादुकाएं (जुते-चप्पल) चोरी जाने की आशंका से मुक्त रहें, इसके लिए मेला प्रशासन 100 सेवादारों को जिम्मेदारी सोंपेगा. महाकाल मंदिर में एक रास्ते से गुजरकर दुसरे से निकाला जाता है, ऐसे में श्रध्दालुओं के प्रवेश व्दार पर जमा किये (कपडे के थैले में रखे) जूते-चप्पल सेवादार, हाथ गाड़ियों में रखकर पादुकाएं निर्गम मार्ग के जूता स्टेंड पर पहुंचायेगे. जहां टोकन वापिस करने पर जूते-चप्पल का थैला उन्हें आसानी से उपलब्ध हो सकेगा.

उ)                लॉ एंड आर्डर (कानून और व्यवस्था)- सिंहस्थ-16 में लगभग 25000 पुलिस कर्मी तैनात रहेंगे, जो वहां की सुचारू व्यवस्था के लिए जिम्मेदार रहेंगे. मेले क्षेत्र में 134 स्थानों पर 650 सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाये जा रहे हैं, जो सिंहस्थ की हर गतिविधि पर नजर रखेंगे. जी.आई.एस.मेप व्दारा ५० लेयर में सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है. मेले में संदिग्ध व्यक्तियों को प्रवेश नहीं मिलेगा. आतंकवादी गतिविधियों की आशंका में मेला प्रक्षेत्र, विशेष शस्त्र वाहिनी एवम् आतंक निरोधी दस्तों (एन्टी टेररिस्म स्कावड) को सोंपा जा रहा है जो हर प्रवेश व्दार, रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड, प्रमुख मंदिरों में यात्रियों की जांच करंगे तीर्थयात्रियों को महत्वपूर्ण सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए 1700 ध्वनी-विस्तारक लगाये जा रहे हैं. प्रिन्ट एवम इलेक्ट्रानिक्स मीडिया का भी सक्रिय सहयोग लिया जावेगा. सिंहस्थ कैशलेस हो इसलिए सभी प्रमुख बैंकों को डेबिट कार्ड जारी करने के निर्देश दिए गए हैं. सिंहस्थ के प्रचार-प्रसार के लिए बैंको को ही अधिकृत किया गया है. सिंहस्थ क्षेत्र में 100 नए एटीएम लगाये जा रहे हैं. सिंहस्थ क्षेत्र में प्रवेश के साथ ही हर यात्री/श्रध्दालु का 2.00 लाख का बीमा रहेगा, जिसके लिए हर तीर्थयात्री का पंजीयन जरुरी होगा. इसी तरह मेला क्षेत्र में सेवा देने वाले शासकीय कर्मियों का ५.०० लाख का दुर्घटना बीमा न्यू इंडिया इन्सुरेंस कंपनी करेगी.

सिंहस्थ में नयी राशन दुकानें, पेट्रोल पम्प तथा रसोई गैस एजेन्सी रहेगी, जिनसे मेला क्षेत्र के स्थायी/अस्थायी रहवासियों को भी लगातार आपूर्ति सुलभ रहेगी. मेला प्रारंभ होने के पूर्व साधू-संतों को आवंटित भूमि /पड़ाव सत्यापन के बाद अस्थायी राशन-कार्ड बनाने की व्यवस्था है.

ऊ)               सिंहस्थ-16 का प्रबंधन आधुनिक तकनीकी से- सिंहस्थ-16 के आयोजन में सूचना तकनीकी की महती भूमिका रहेगी. सम्पूर्ण मेला क्षेत्र वाई-फाई रहेगा. सिंहस्थ प्रबंधन की वेब साईट है, जिस पर उज्जैन में रुकने, होटल, लांज, धर्मशाला की जानकारी मिलेगी. सिंहस्थ में निजी वाहन कहाँ खड़े करना है, की जानकारी मोबाईल एप पर 50 किलोमीटर पहले पता चल जाएगी. जी.आई.एस.प्लानिंग के माध्यम से स्मार्ट उज्जैन की व्यवस्था रहेगी. इसमें सड़क, जल प्रदाय, जल निकासी, विद्युत् लाइन सभी एक ही नक़्शे में विविध स्तरों में है.

सपूर्ण मेला क्षेत्र में आई.टी.बेस्ड सहायता केंद्र (हेल्प सेंटर्स) खोले जा रहे हैं. गुमशुदा लोगों की सूचना एवम तस्वीरे कुछ समय में मेला क्षेत्र में प्रसारित हो जावेगी. सिंहस्थ की व्यवस्था में लगे 10000 कर्मचारियों/अधिकारीयों को वेब साईट के माध्यम से निर्देशित और नियंत्रित किया जावेगा.

ऋ)              अति विशिष्ट व्यक्तियों की व्यवस्था- सिंहस्थ के पर्व स्नान तिथियों में अति महत्त्व पूर्ण व्यक्तियों को पारपत्र (पास) जारी करने की मनाही है. सिंहस्थ प्रभारी श्री पारस जैन, मंत्री म.प्र.शासन का कहना है की व्ही.आई.पी.खूब फोन कर रहे हैं, कहता हूँ, जिनके घुटनों में जोर हो वे चले आएं. सही भी है, भीड़-भाड़ में विशिष्ट अतिथि के आने से अव्यवस्था हो जाती है-जैसे की पिछले हज यात्रा 2015 में शाही परिवार के सदस्यों के आने से शेष हज यात्रियों को रोका गया. उनके जाने के बाद अधीर भीड़ में भगदड़ मच गयी और कई मौते हो गयीं. वैसे अपुष्ट समाचारों के अनुसार प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी मेला में आयोजित विश्व धर्म सम्मलेन को संबोधित करेंगे. यह भी गौर तलब है कि नरेंद्र मोदी जी जब सिंहस्थ में साधु-संतों की उपस्थिति में इस धार्मिक समागम का समापन करेंगे तब उनके समक्ष राम-मंदिर निर्माण की प्रतिबध्दता भी आड़े आएगी.

सिंहस्थ-पर्व की महान उपलब्धि तो यही होगी कि अक्सर सूख जाने वाली मोक्ष दायी पुण्य सलिला क्षिप्रा में अब नियमित और निर्मल जल उपलब्ध रहेगा, जिसके अमृतत्व का मिथक सिंहस्थ-कुम्भ आयोजन से जुडा है. नदियों को आपस में जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत नर्मदा शिप्रा लिंक से तटवासियों को पीने, सिंचाई और ओद्योगिक जल की प्राप्तिं होगी, तथा वहाँ का भूजल स्तर भी बना रहेगा. सिंहस्थ-16 सारी दुनिया को मानव कल्याण का सन्देश देगा और इसलिए इस मेले को भूमंडलीय-स्वरुप देने का प्रयास किया जा रहा है. जगह-जगह ब्रांड–एम्बेसेडर नियुक्त किये गए हैं जो लोगों को इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. सिंहस्थ अवधि में अंतर्राष्टीय योग शिविर का आयोजन भी उज्जैन में है. सिंहस्थ के 34 दिन पर्यावरण सुरक्षा एवम् जागरूकता के लिए प्रतिदिन यज्ञ की योजना है.


म.प्र. सरकार इस अवधि में एक कृषि कुम्भ का भी आयोजन कर रही है. सिंहस्थ पर्व स्नान में पहली बार किन्नरों को कुम्भ-स्नान की अनुमति दी जा रही है. 14वें अखाड़े के रूप में वे जुलूस बध्द होकर शाही स्नान में सम्मिलित होगे. तेरहनामी अखाड़े और साधु-समुदाय का प्रतिवाद मेला आयोजकों के सामने एक गम्भीर चुनौती होगी. सिंहस्थ को सफल बनाने के लिए मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, उनका मंत्री-मंडल, शासन-प्रशासन हर-सम्भव प्रयास कर रहे हैं, उज्जैन वासी भी पलक-पाँवड़े बिछाए हर अतिथि का स्वागत करने के लिए आतुर है. मेला केन्द्रीय समिति एवम् मंदिर प्रबंधन समिति ने सफल सिंहस्थ के लिए यज्ञ-हवन आदि कर सिंहस्थ आयोजन की कुण्डली में स्थित चांडालयोग का दोष निवारण किया है. महाकाल मन्दिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री आर.पी.तिवारी ने इसे विपरीत ग्रह –नक्षत्रों के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए कर्मकाण्ड और पूजा याचना को परंपरा ही माना है. हाँ! यहाँ हम हिन्दू-धर्मालंबियों का दायित्व अवश्य बढ़ जाता है कि इस समागम को अपना पारिवारिक उत्सव मानें, उसमें सम्मिलित हों तथा तीर्थ-स्थान की शुचिता और पवित्रता को बनाये रखें. ध्यान रहे, अब यह आयोजन 12 वर्ष बाद ही होगा.