यहाँ आदमी आदमी से जलता है…
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे है कि मंगल गृह पर जीवन है या नहीं
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि जीवन में मंगल है या नहीं...
ज़िन्दगी में ना जाने कौनसी बात "आख़री" होगी,
ना जाने कौनसी रात "आख़री" होगी…
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से,
ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी…
अगर ज़िन्दगी में कुछ पाना हो तो
तरीके बदलो, इरादे नहीं…
ग़ालिब ने खूब कहा है…
ऐ चाँद तू किस मजहब का है
ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा।
चित्रकार: रजनी पवार, इंदौर
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