बुधवार, 15 जनवरी 2014

सूर्य उत्तरायण हो रहा है

ठण्ड और कुहासे के साथ आया,  नया साल 2014! स्वागत !!

<> वर्ष 2013 के अंतिम दिनों में साक्षात्कार के यशस्वी सम्पादक प्रो त्रिभुवन नाथ शुक्ल को पत्र प्रेषित कर उनके व्दारा इति -व्याख्यायित चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य को आज की स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग में रखने का आधार चाहा था। सामान्यतः जैसी उम्मीद रही, वैसा हुआ: पत्रोत्तर नहीं मिला

<> चन्द्रगुप्त मौर्य की जीवन-गाथा से जुडी अनेकों हिन्दी/ अंग्रेजी की पुस्तकें इंटरनेट पर हैं। अलावा इसके, प्राच्य -इतिहास को उकेरते अन्य शोध-ग्रन्थ एवं सहायक -साक्ष्य भी हैं जो एक स्वर में चन्द्रगुप्त मौर्य की यशकीर्ति और वंश परम्परा का  नेति -नेति बखान कर रहें हैं।
समझ में नहीं आता! आदरणीय शुक्लजी ने ईसा पूर्व के इतिहास में ऐसे सत्य और तथ्य कहाँ से ढूँढे? और तो और, वे उस धीरोदात्त नायक को आज की स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमाण-पत्र जारी कर बैठे। शायद, उन्होंने भी कथावाचकों/ भाष्यकारों की कपोल-कल्पनाओं/ मिथिहास को आधार माना! शायद, वे भी चन्द्रगुप्त को मुरा नामक दासी/ नाइन /नन्द उप-पत्नी की सन्तान मानते हैं !!

<> इंटरनेट पर चन्द्रगुप्त मौर्य  (ऍम  आई  राजस्वी) के अनुसार:

"चन्द्रगुप्त के पिता सूर्यगुप्त पिप्पलीवन के गणमुख्य थे। और, उनकी माता का नाम मुरादेवी था। नन्द ने गणमुख्यों की व्यवस्था समाप्त कर दी। विरोध करने पर उसने सूर्यगुप्त का वध करवा दिया और मुरादेवी को अपनी दासी बना लिया।"

<> युध्द, सत्ता-हस्तांतरण, विजित राजा/ सामन्त की सम्पति/ अन्तःपुर पर आधिपत्य जमाना, उस समय की शासन-शैली रही। हो सकता है, नन्द ने मुरा को जबदस्ती अपनी दासी बनाया हो! हो सकता है, नन्द के रनिवास में मुरा नाम की उप-पत्नी हो!! हो सकता है, नन्द की कोई मुरा नामक नापित दासी हो!!! और, यहीं से इतिहास में संभ्रम की स्थिति बनी हो। उल्लेखनीय है कि 'नाई' अन्य पिछड़ा वर्ग में अधिसूचित है।
लेकिन प्रोफेसर साहब यह तो जानते ही हैं कि हमारे यहाँ परिवारों में पितृसत्तात्मक व्यवस्था है;ना कि मातृसत्तात्मक। इतिहास में मुरा से मौर्य वंश की उत्पत्ति का राग व्यर्थ ही अलापा गया।

वास्तव में, चन्द्रगुप्त मौर्य वह शासक रहा, जिसने तत्कालीन छोटे -छोटे राज्यों को एक सूत्र में बांधकर शक्तिशाली राज्य की नींव डाली! जिसने अपने समय का प्रवाह मोड़ा!! और इसलिए उसे उस युग का महान शासक माना गया।

चलिये छोड़िये !  
सूर्य उत्तरायण हो रहा है---
अब ढ़ोल बजेगे, शहनाईयाँ गुजेंगीं, मंगल-कलश सजेंगे।                                  
शुभ  मकर  संक्रांति